. प्रस्तुत प्रश्न ईदगाह पाठ से लिया गया है |इसका लेखक प्रेमचंद जी है |कहानी के माद्यम से हमें पाठ का परिचय दियागया |सन १८८०,जुलाई ३ मेकाशी में एक गरीब घराने आपका जन्म हुआ |इनके बचपन का नाम धनपत राय श्रीवास्तव था |नौकरी करते हुए इन्होने बी. ए. पास किया |इन्हें “उपन्यास सम्राट” भी कहा जाता है |इनकी कहानिया मानसरोवर शीर्षक से आठ खंडो में संकलित है |गोदान ,सेवासदन ,निर्मला आदि इनके प्रमुख उपन्यास है |बढे घरकी बेटी ,कफन आदि प्रमुख है
यह कहानी मुसलमानो के पवित्र त्योहार रमजान पर आधारित हैं|रमजान के दिन मुसलमान परिवारों में विसेश्कर बच्चों में अधिक उस्थाह दिखाई देती है |सभी बहोत प्रसन्न थे |हामिद बहोत प्रसन्न था |वह चार- पांच साल का गरीब सूरत का दुबला पतला लड़का था |उसके माता -पिता नै है |उपनी बूढी दादी अमीना के साथ रहता था |ईद के दिन दादी बहोत दुखी है कि उस दिन उनके घर में एक दाना भी खाने केलिए नहीं था |हामिद को अकेला ईद गाह गाना पद रहा है |ईद गाह के पास खूब खरीद दारी चल रही है |हामिद मेले में एक चिमटा खरीद कर उपने दादी केलिए लाता है|उपने लिए खिलोने ,मिठाई न लेकर दादी केलिए लाने से उस छोटे बच्चे की मन में दुसुरों के प्रति प्रेम सहानुभूति की भावना अधिक है |
सारांश-हामिद नाम का एक लड़का था वो अपनी दादी के साथ रहता था।उसके माता -पिता की मृत्यु हो चुकी थी।एक बार ईदगाह के दिन मेला था उसके सभी दोस्त बहुत से पैसे ले कर मेला देखने के लिए जा रहे थे।पैर हामिद के पास केवल 3 पैसे थे । सब मेले में पहुँचते हैं ,सभी वहाँ अच्छी-अच्छी चीज़े खरीदते हैं।पर हामिद के पास केवल 3 पैसे थे । जिससे वो अपनी दादी के लिए चिंता ले आता है।सभी दोस्त उसके ऊपर हँसते है।जब वो चिमटा लेकर दादी को देता है तो दादी बहुत खुश होती हैं ,और उनकी आँखों में आँशू या जाता है।
I hope it's help u.. maine ye story bahut pehle padhi thi.
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. प्रस्तुत प्रश्न ईदगाह पाठ से लिया गया है |इसका लेखक प्रेमचंद जी है |कहानी के माद्यम से हमें पाठ का परिचय दियागया |सन १८८०,जुलाई ३ मेकाशी में एक गरीब घराने आपका जन्म हुआ |इनके बचपन का नाम धनपत राय श्रीवास्तव था |नौकरी करते हुए इन्होने बी. ए. पास किया |इन्हें “उपन्यास सम्राट” भी कहा जाता है |इनकी कहानिया मानसरोवर शीर्षक से आठ खंडो में संकलित है |गोदान ,सेवासदन ,निर्मला आदि इनके प्रमुख उपन्यास है |बढे घरकी बेटी ,कफन आदि प्रमुख है
यह कहानी मुसलमानो के पवित्र त्योहार रमजान पर आधारित हैं|रमजान के दिन मुसलमान परिवारों में विसेश्कर बच्चों में अधिक उस्थाह दिखाई देती है |सभी बहोत प्रसन्न थे |हामिद बहोत प्रसन्न था |वह चार- पांच साल का गरीब सूरत का दुबला पतला लड़का था |उसके माता -पिता नै है |उपनी बूढी दादी अमीना के साथ रहता था |ईद के दिन दादी बहोत दुखी है कि उस दिन उनके घर में एक दाना भी खाने केलिए नहीं था |हामिद को अकेला ईद गाह गाना पद रहा है |ईद गाह के पास खूब खरीद दारी चल रही है |हामिद मेले में एक चिमटा खरीद कर उपने दादी केलिए लाता है|उपने लिए खिलोने ,मिठाई न लेकर दादी केलिए लाने से उस छोटे बच्चे की मन में दुसुरों के प्रति प्रेम सहानुभूति की भावना अधिक है |
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सारांश-हामिद नाम का एक लड़का था वो अपनी दादी के साथ रहता था।उसके माता -पिता की मृत्यु हो चुकी थी।एक बार ईदगाह के दिन मेला था उसके सभी दोस्त बहुत से पैसे ले कर मेला देखने के लिए जा रहे थे।पैर हामिद के पास केवल 3 पैसे थे । सब मेले में पहुँचते हैं ,सभी वहाँ अच्छी-अच्छी चीज़े खरीदते हैं।पर हामिद के पास केवल 3 पैसे थे ।जिससे वो अपनी दादी के लिए चिंता ले आता है।सभी दोस्त उसके ऊपर हँसते है।जब वो चिमटा लेकर दादी को देता है तो दादी बहुत खुश होती हैं ,और उनकी आँखों में आँशू या जाता है।
I hope it's help u..
maine ye story bahut pehle padhi thi.